BA Semester-5 Paper-1 Education - Educational Assessment - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2799
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 2

मानदण्ड

(Norms)

प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।

उत्तर -

परीक्षण मानक
(Test Norms)

मानक किसी प्रतिनिधि प्रतिदर्श का परीक्षण पर एक औसत प्राप्तांक है। किसी मनोवैज्ञानिक या शैक्षिक परीक्षण पर एक औसत प्राप्तांक है। किसी मनोवैज्ञानिक या शैक्षिक परीक्षण पर एक व्यक्ति को प्राप्त होने वाला अंक मूल प्राप्तांक कहलाता है। इनका अपने आप में कोई अर्थ नहीं होता है और न इनके आधार पर किसी प्रकार की व्याख्या की जा सकती है। अर्थात जब किसी उपलब्धि परीक्षण में किसी छात्र को शून्य अंक प्राप्त होता है, तो इसका अर्थ यह नहीं होता है कि उस विषय में छात्र का ज्ञान शून्य है, इसका अर्थ केवल इतना होता है कि उस परीक्षण के प्रश्नों को हल करने में छात्र पूर्णतया असफल रहा है।

व्यक्ति के शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक गुणों की माप अप्रत्यक्ष विधियों द्वारा की जाती है। इनकी कोई मापन इकाई नहीं होती है। इसलिए इसका वास्तविक अर्थ नहीं निकाला जा सकता हैं और न ही इनकी तुलना की जा सकती है। उदाहरणार्थ- व्यक्ति के भार की इकाई कि.ग्रा. होती है। यदि मोहन का भार 50 कि. ग्रा. और सोहन का भार 25 कि. ग्रा. हो तो यह कहा जा सकता है कि मोहन का भार सोहन के भार से दोगुना है, किंतु इस प्रकार का कथन हम शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मापों के लिए नहीं कर सकते हैं। यदि किसी उपलब्धि परीक्षण में मोहन को 50 अंक और सोहन को 25 अंक प्राप्त होते हैं, तो यह नहीं कहा जा सकता है कि मोहन को इस विषय में योग्यता सोहन की योग्यता से दो गुनी है। यह दो गुनी से अधिक भी हो सकती है और कम भी। किसी बाह्य संदर्भ या मानवीकृत समूह के परीक्षण परिणामों पर उस विशिष्ट समूह का औसत अंक 30 आता है तो यह 30 इस परीक्षण का मानक होगा। इसी को परीक्षण मानक भी कहा जा सकता है। विभिन्न विद्वानों ने इसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया है इबेल के अनुसार, “किसी परीक्षण के मानक बताते हैं कि किसी विशेष संदर्भ समूह के सदस्य परीक्षण पर किस प्रकार के अंक प्राप्त करते हैं। फीमैन ने लिखा है कि, "मानक एक विशिष्ट जीव संख्या द्वारा किसी विशेष परीक्षण पर प्राप्त औसत या विशेष अंक होता है।'

मानक परीक्षण वह परीक्षण है, जिसमें विषय-वस्तु का चयन अनुभव के आधार पर किया गया हो। जिसके मानक ज्ञात हो। जिसके प्रशासन की समरूप विधियों को विकसित किया गया हो तथा जिसका फलांकन वस्तुनिष्ठ विधि से किया गया हो।

भौतिक मापों की ही तरह शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मापों में वास्तविक शून्य की संकल्पना नहीं की जा सकती। जैसे तापमान किसी दिन वास्तविक शून्य हो सकता है, किसी दिन शून्य से कम और किसी दिन वास्तविक शून्य से अधिक हो सकता है। किंतु शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मापों में ऐसा कभी नहीं होता। न तो किसी छात्र की बुद्धि शून्य अथवा शून्य से कम हो सकती है और न ही उसका व्यक्तित्व शून्य या शून्य से कम हो सकता है। जब किसी उपलब्धि परीक्षण में किसी छात्र में किसी छात्र को शून्य अंक प्राप्त होता है तो इसका अर्थ यह नहीं होता है कि उस विषय में छात्र का ज्ञान शून्य है। उसका सिर्फ उतना अर्थ है कि उस परीक्षण के प्रश्नों को हल करने में छात्र पूर्ण रूप से असफल रहा है।

शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक गुणों का मापन अप्रत्यक्ष विधियों से किया जाता है इनकी कोई मापन इकाई नहीं होती है। अतः इसका वास्तविक अर्थापन नहीं किया जा सकता है और इनकी तुलना भी नहीं की जा सकती है। शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मापों की इकाई न होने के कारण शैक्षिक एवं मनोवैज्ञानिक मापें अर्थहीन होती है। इनकों अर्थयुक्त बनाने के लिए संदर्भ बिन्दुओं की खोज की गयी है, ऐसे संदर्भ बिन्दुओं को ही मानक कहा जाता है। इन मानकों की सहायता से ही छात्रों को किसी परीक्षण पर वास्तविक उपलब्धि की व्याख्या की जा सकती है। प्रायः किसी परीक्षण के मानक का निर्धारण उस परीक्षण पर प्राप्त प्राप्तांकों से ही किया जाता है। ये प्राप्तांकों के संक्षिप्त रूप होते हैं अथवा इन्हें कुछ परविर्तित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। मानक वास्तव में व्यक्ति या व्यक्तियों की समूह की वास्तविक उपलब्धि को व्यक्त करते हैं ये पूर्व निर्धारित न होकर वर्तमान स्थिति के सापेक्ष परिवर्तित होते हैं।

परीक्षण मानक निर्धारण की आवश्यकता-

1. मूल आँकड़ों को इस योग्य बनाना जिससे उसे दूसरे आँकड़ों में जोड़ा जा सकें।
2. मूल आँकड़ों को तुलना योग्य बनाना।

3. मूल आँकड़ों को और अधिक सार्थक बनाने के लिए इसके अतिरिक्त मानकों को इस प्रकार व्यवस्थित करना कि परीक्षण में सहायक सिद्ध हो सकें। जिससे व्यक्तियों की असफलताओं तथा कमजोरियों का पता लगाया जा सकें।

विशेषतायें - किसी भी परीक्षण के मानकों में निम्नलिखित आवश्यक गुणों का होना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं

1. नवीनता (Upto date) - मानक काफी समय पुराने नहीं होने चाहिए। उदाहरणस्वरूप यदि 1970 में बुद्धि परीक्षण के लिए विकसित मानकों की सहायता से यदि वर्तमान समय के छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों की व्याख्या की जायेगी तो वह व्याख्या छात्रों की वास्तविक योग्यता का वर्णन नहीं कर सकेगी। अतः मानकों में समय-समय पर परिवर्तन करते रहना चाहिए जिससे कि वे नवीन बन सके।

2. प्रतिनिधित्व (Representativeness) - मानकों का विकास उन्हीं छात्रों के प्रतिविधि समूह समूह से प्राप्त आँकड़ों से किया गया है जिनकों की प्राप्तांकों की व्याख्या की जानी है, अतः यदि कक्षा 9 के विद्यार्थियों की किसी योग्यता की व्याख्या की जानी है तो मानकों का विकास भी कक्षा 9 के विद्यार्थियों के प्राप्तांकों की सहायता से ही किया जाना चाहिए। साथ ही ये विद्यार्थी अन्य गुणों में भी उन विद्यार्थियों के समान होने चाहिए जिनके गुणों की व्याख्या की जानी है। परीक्षण मानकों का निर्माण किसी बड़े समूह के छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों आधार पर ही किया जाना चाहिए।

3. सार्थकता (Meaning Fulness) - विकसित किये गये मानकों को परीक्षण उद्देश्यों तथा मापन किये जाने वाले गुणों पर निर्भर करना चाहिए। जैसे जहाँ गुणों में बुद्धि आयु के साथ वहाँ आयु मानक या श्रेणी मानक व्यक्तित्व मापन के साथ शतांशीय मानक या प्रमाणिक अंक मानक, शरीरिक अथवा शैक्षिक उपलब्धि के साथ आयु या श्रेणी मानक किसी बड़े समूह के छात्र की स्थिति ज्ञात करना ही शंताशादि मानक या प्रमाणिक मानक हैं।

4. तुलनीयता (Comparibility) - परीक्षण के मानक आपस में तुलनीय होने चाहिए तभी उन मानकों की सहायता से विभिन्न छात्रों की तुलना की जा सकती है। उसके साथ ही मानक पर्याप्त रूप से वर्णित होने चाहिए अर्थात परीक्षण के विभिन्न संदर्भ बिन्दुओं के अर्थ को स्पष्ट रूप से वर्णन करना चाहिए ताकि छात्रों की योग्यता का शाब्दिक वर्णन स्पष्ट ढंग से किया जा सके।.

सावधानियाँ - मानक निर्धारित करते समय निम्न सावधानियाँ रखनी चाहिए-

1. मानक ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला प्रतिदर्श समस्त जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाला होना चाहिए।

2. परीक्षण मानक सावधानीपूर्वक ज्ञात करने चाहिए। इसके लिए एक परीक्षार्थी के विभिन्न परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को देखना चाहिए न कि उसके एक ही परीक्षण में प्राप्त अंकों का।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
  7. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
  9. प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
  10. प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
  13. प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
  17. प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  18. प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
  20. प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
  21. प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
  23. प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
  24. प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
  27. प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
  29. प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  30. प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
  33. प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
  34. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
  36. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
  38. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  39. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
  41. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  43. प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  44. प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
  45. प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
  46. प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
  47. प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  48. प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
  53. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
  56. प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
  57. प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  61. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
  64. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
  65. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
  66. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  67. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
  68. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
  69. प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  71. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  72. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  73. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  76. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  77. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  78. प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  82. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  83. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।-
  85. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  87. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  88. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
  92. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  93. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' ( OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार तथा गुण-दोष बताइए।
  97. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के गुण बताइए।
  98. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के दोष बताइए।
  99. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
  101. प्रश्न- अभिक्षमता क्या है? परिभाषा भी दीजिए तथा अभिक्षमता कितने प्रकार की होती है? अभिक्षमता की विशेषताएँ क्या हैं?
  102. प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।

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